प्यारा गांव
बह रहे है झरने यहां
है मौसम भी बहुत सुहाना यहां
है स्वच्छ ताज़ा हवा
है हर कोई जाना पहचाना यहां।।
छोटा सा है ये गांव मेरा
है सब कितना अच्छा यहां
भाती है सर्दियों में धूप
है पेड़ों की ठंडी छांव यहां।।
लहलहा रहे फसलों से
सीढ़ीनुमा है जो खेत यहां
दिख रही मेहनत उनकी
मेहनतकश है जो लोग यहां।।
कोई खेतों में व्यस्त है तो
कोई आंगन में सेक रहा धूप यहां
होता है, जो जैसा दिखता है
और कोई न बदलता रूप यहां।।
देवता भी जश्न मनाते है
जब होता है कोई उत्सव यहां
मिलकर सभी नाचते है
शादी ब्याह हो या मेला यहां।।
मिलकर गम बांटते है
मिलकर खुशी मनाते है यहां
दादा दादी बच्चों को
आज भी कहानियां सुनाते है यहां।।
चिड़िया की चहचहाट का
मधुर संगीत सुनने को मिलता है यहां
सूरज की किरणों से चमकती
दूर बर्फ की चोटियां दिखती है यहां।।
समय के साथ चलते है लोग यहां
सेब की खेती लाई है एक नई क्रांति यहां
होता नहीं कोई शोर शराबा
सबको सुकून देती है चारों तरफ शांति यहां।।