मेरे गम , मेरे जख्म या मेरी दवा चाहते हो
मेरे गम , मेरे जख्म या मेरी दवा चाहते हो
एक बार बता तो दो की तुम क्या चाहते हो
अब इनके चहचहाने पर भी तुम्हें एतराज है
तो क्या तुम परिन्दों तक को बेजुबा चाहते हो
अब हर कोई तुम्हारी मोहब्बत की दुहाई देता है
सुना है के तुम मुझे बेइंतिहा चाहते हो
मुसलसल मन्नतें करते हो आजकल तुम
तुम क्या मुझे ही हर मर्तबा चाहते हो
फासले भी घटने नही देते नजदीकीयां भी बढ़ने नही देते
क्या तुम जुलम भी मुझपर तयशुदा चाहते हो
एक बस तुम्हारा दिल ही तनहा नही है तनहा
किसी को तो तुम भी बेपनाह चाहते हो