मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से….
मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से
मेरे जहन मे है अब तक वही बरसात के किस्से…
लिखा है मैने आज भी वो छोटा सा अफसाना,
तेरा बारिश के मौसम में बिना छतरी के घर जाना,
यू मुझे देखना और देख के शर्माना,
वे बस की भीड़ में हाथो से हाथों का टकराना,
मुझे आज भी रुलाते है तेरे साथ के किस्से,
मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से,
मेरे जहन मे है अब तक वही बरसात के किस्से…
कि तुझे मिलकर कभी मेरा तेरे नजदीक आ जाना,
मेरे हाथो के छुने से तेरे सांसो का रुक जाना,
वे मुझसे दूर जाकर के तेरे फिर से लिपट जाना,
मेरे सिने से लगकर बोलना जल्दी है घर जाना,
मुझे जिने नही देते वो मूलाकात के किस्से,
मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से,
मेरे जहन मे है अब तक वही बरसात के किस्से…
हजारों चेहरे खिले थे जहॉ की फजाओ मे,
मगर रो रो के मैने मांगा तुझे दुआओं मे,
मेरे तड़पते दिल को महसूस करके देखो,
मेरे आंसुओं से अब तक है नमी हवाओं में,
मेरे आंखों से बहते हैं तेरे एहसास के किस्से,
मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से,
मेरे जहन मे है अब तक वही बरसात के किस्से….
जमाने से किनारा कर तुझे अपना बनाया था,
तु मेरी रूह में ,दिल में, ख्वाबों में समाया था,
मुझको छोड़कर तन्हाइयों के कैद में तुमने,
मुझको हजारों खून के आंसू रुलाया था,
सुनाऊं किसे अपना दिल बर्बाद के किस्से,
मेरे ख्वाबों में आते हैं तुम्हारे याद के किस्से,
मेरे जहन मे है अब तक वही बरसात के किस्से…
(संजीव पासवान)