मेरे कल्पना लोक में
मेरे कल्पना लोक में
मेरे कल्पन लोक में, संसार का यह रूप है
मिटे सरहदे नफरतो की
प्यार का संसार हो
ईर्ष्या द्वेष नफरतों की
चले नहीं ऑधिया
बस चलती प्रीत की
मधुर सी बयार हो
मेरी कल्पना लोक में, संसार का यह रूप है।
नर नारी पाए सम्मान
और बराबर का दर्जा
शोषक शोषित का बचे
नहीं कोई इतिहास हो
वर्ग भेद को छोड़ कर
पाएं सब सम्मान
मेरे कल्पना लोक में ,संसार का यह रूप है
नदिया पावन निर्मल धार
हरियाली का गीत हो
विकास तकनीकी के संग
प्रकृति का मधुर संगीत हो
भावी पीढ़ी के लिए
जग बने एक वरदान
मेरी कल्पना लोक में ,संसार का यह रूप है