मेरे कलम को अभी और काम….
मेरे कलम ने सवारे है हुस्न के गेसू
मेरे कलम ने उभारे है इश्क के पहलू .
मेरे कलम ने मोहब्बत के गीत भी गाये
मेरे कलम ने निगाहो के तीर भी खाये .
मेरे कलम ने जवानी को जोश बक्शा है
मेरे कलम ने बुढ़ापे को होश बक्शा है .
मेरे कलम ने लिखी दास्तां सितारों की
मेरे कलम ने बोलना सीख लिया इशारों की.
मेरे कलम ने उठकर कभी सूर फुका है
मेरे कलम ने कभी गिरकर खून थुका है.
मेरे कलम को कभी मुखलसी ने बेचा है
कभी ये जग मे तलवार बनकर चमका है.
मेरा कलम भी लूटा मेरी आबरू की तरह
मेरा कलम भी निचोड़ा गया लहू की तरह.
मेरा कलम भी बटा है हजारों शाखों में
कभी ये बन्द हुआ जेल की सलाखो मे .
कभी ये अपने को पत्थरो पर छोड गया
कभी यह हल की तरह बंजारों में दौड़ गया.
यह दुख का साथी है मेहनत का छोटा भाई है
मेरे कलम में पसीने की रोशनाई है.
या समे सितारों का नूर भरना है
मेरे कलम को अभी और काम करना है…|
(संजीव पासवान कुशीनगर)
( 7235935891)