मेरे अल्फाज
हालात ना पूछो क्या हाल है
मेरे दिल का भी बुरा हाल है
पर क्या करू कम्बख़त दुनिया का
अपने में जीने का अलग कमाल है
हालात ना पूछो क्या हाल है…..
खुद्दत सी दुनिया का अलग तजुरबा है
ये दुनिया एक अलग अजूबा है
हम समेटते रहते हैं अपने आप को
यहां कस्ती डूबने का अपना मलाल है
हालात ना पूछो क्या हाल है…..
तुम्हे याद करता हूं इस कदर सजनी
अब इस दिल को ना इसका ख्याल है
लोग कहते है पागल है ये व्यक्ति
क्योंकि अब हर लब्ज़ में तुम्हारा नाम है
हालात ना पूछो क्या हाल है…..
अल्फ़ाज़ भी हमारे धोखा दे रहे है
जो अपने थे किसी और के हो रहे है
हम किससे गिला और शिकायत करे
क्योंकि अपने ही मुझे सिला दे रहे है
हालात ना पूछो क्या हाल है…..
सजनी तुम्हारी याद में ऐसे खोए है
गम को हमेशा साथ लेकर रोए है
कभी अपने मासूम चेहरे का दीदार करा दो
कब ये लब्ज़ रुक जाए ना इसका ख्याल है
हालात ना पूछो क्या हाल है…..