– मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू –
– मेरे अपनो ने डूबो दी मेरी नैया अब में क्या करू –
अपनो की है घात,
दिए मुझे बड़े आघात,
पीड़ाओं का पहाड़ टूट पड़ा,
अपनो ने जब मुसीबत में है हाथ छोड़ दिया
अपने हो रहे मदमस्त अपनी मस्ती में,
देकर हमे दुख झूम रहे बस्ती में,
पर उनको क्या मालुम भरत भी मतवाला है,
गहलोत अपने दम पर कुछ बड़ा करने वाला है,
एक दिन अपनी मंजिल को पा जाऊंगा,
तब मेरे अपने जो साथ छोड़ रहे उनको में दिखलाऊंगा,
न ही हुआ उदास भरत है न ही हारा है गहलोत,
अपनो का पता चल गया मुश्किल हालात में,
अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान