मेरी जिंदगी
मेरी नींदों में जब आप ही काबिज हैं मेरे हरदम
फिर क्यूं दिल दुखाने वाले ख्वाब देखा करते हैं
हम आपके हैं जब शुबा इस बात पर नहीं रहा कोई
फिर क्यूं पराया समझ बेगानो सा बर्ताव किया करते हैं
जिंदगी हो बसर बगैर आपके ये तो मुमकिन ही नही है
फिर क्यूं दिल को बेवजह अपने परेशान किया करते हैं
अब ये दूरियां भी जल्द ही हो जाएंगी खत्म सरल
फिर क्यूं आप अकसर दामन सब्र का छोड़ दिया करते हैं
संजय श्रीवास्तव “सरल”
बालाघाट ( मध्यप्रदेश)
6:3:2022