मेरी सोच – मेरी ताकत
उदासी शाम है, आसमान कितना शांत बैठा है,
दिल टूटा परिंदा शाम की पुल पर खामोश बैठा है।
मैं अगर मर जाऊं, मुझे जलाना मत,
मेरे अंदर ना जलने का गुमान बैठा है।
तुम्हारे शहर के सारे लोग मर गए कब के,
उनके अंदर ना बोलने वाला भगवान जो बैठा है।
अगर वक्त मिले तो पानी पिला देना प्यासे को,
आज कल दरिया में इच्छाधारी नाग बैठा।
मैं अगर शांत हूं, तो मुझे कम आंकना मत,
मेरे अंदर भी सच बोलने वाला शैतान बैठा।