**मेरी विनती है तुझसे मेरे राम **
मैंने रात काटी …तेरे इंतज़ार में कि तू नजर आये
सुना है तेरा दीदार करने को कुछ खोना पड़ता है
सारी रात तेरी याद में कटती चली गए मेरे राम
थक के चूर हो गया, इंतज़ार था कब सुबह आये !!
सोता देखा जहान मैने की सब बेखबर से सो रहे हैं
अपनी सुध बुध में न जाने क्या क्या वो खो रहे हैं
पल भर में नजर अगर तेरी बिगड़ गयी मेरे राम
यह दुआ कर रहा था कि कोई विपदा यहाँ पे न आये !!
मासूम मासूम से वो नन्हे से जीव जिस ने जन्म लिया अभी
वो नन्ही नन्ही सी चिडिया जिस ने घरोंदा बनाया अभी अभी
दुःख दर्द से सह कर घर की नईया को पार लगा रहे सब यहाँ
मेरी विनती है तुझ से की, की कभी यहाँ कोई कहर न आये !!
न जाने कितने सपने, कितने अरमान पाल रहा है हर कोई
तू ही तो जग का पालनहार, तेरे सिवा न हमारा है कोई
पहुंचा देना सब को सब की मंजिल पर मेरे भोले राम
“अजीत” ने भी नींद गवा दी.बस तेरा रहम ही अब नजर आये !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ