*मेरी वसीयत*
वसीयत
मेरे जाने के बाद,
सौंप देना मेरी धरोहर,
उनको जो हैं उसके हकदार।
मेरी कर्म शक्ति देना,
उन सरल महिलाओं को,
भूल गईं जो कि रसोई,
के बाहर भी है दुनिया कोई।
मेरी मुस्कान पहुंचाना,
वृद्धाश्रम के श्वेत केशों को,
जिनके बच्चे बांध ले गए,
सामान के साथ उनकी हंसी को।
मेरी ममता बांट देना,
उन नन्हें नवजातों में,
खुद मां ने जिनको फेंक दिया,
दुनिया की कंटीली राहों में।
मेरा उन्मुक्त हास्य है,
उन नादान निशक्तों का,
जिनकी आंखों में भय है,
जीवन की क्रूर घातों का।
मन की पोटली में कुछ भाव हैं,
सब को सुख देने के,
उन भावों को आप सब,
मिल कर बांट लेना।
अपने मन में संजो लेना ,
जब कोई दीन दुखी मिले,
मेरे भावों को याद करना,
मेरे भावों को याद करना।
मेरे जाने के बाद,
सौंप देना मेरी धरोहर,
उनको जो है उसके हकदार।।
आभा पाण्डेय