*मेरी रूह को मत आज़ाद कर*
मेरी रूह को मत आज़ाद कर
तेरे आंचल में रख यूं छुपाकर
शीत हवाओं का कहर ना छू सके
कम से कम ऐसा एक पहर कर।।
?मधुप बैरागी
मेरी रूह को मत आज़ाद कर
तेरे आंचल में रख यूं छुपाकर
शीत हवाओं का कहर ना छू सके
कम से कम ऐसा एक पहर कर।।
?मधुप बैरागी