“मेरी रचना हुई पचास”
“मेरे मन में है उल्लास,मेरी रचना हुई पचास,
पूरी हो रही मेरी आस,बूझ रही थोड़ी-थोड़ी प्यास,
जारी रहेगा ये अभ्यास,सपने छू लेंगे आकाश,
मेरे मन में है उल्लास,मेरी रचना हुई पचास,
मन की सुखी धरती ने शीतलता पाई,
रचना की इन बूँदों से हरियाली सी छाई,
हौसला मेरा कोई बढ़ाता,कोई करे परिहास,
जीवन सरल नही उनका,राहें जिनकी हैं खास,
विरले होते बचपन से,जो रचते हैं इतिहास,
कभी किसी की बातों से दिल जो टूट गया,
नम थी रचनाकार की आंखें,गम शब्दों में फूट गया,
अपनी कविता में लिखकर,वो अपना दर्द दिखा डाला,
अपने और बेगानों को भावों से समझा डाला,
खुशी हो या गम हो जीवन में,जारी रखना है अभ्यास,
कामयाब होंगे एक दिन, हमको है विश्वास,
कारवाँ होगा अपने पीछे,बिछड़े होंगे पास,
मेरे मन में है उल्लास,मेरी रचना हुई पचास,
जारी रहेगा ये अभ्यास,मेरी रचना हुई पचास “