मेरी यात्रा
अपनी इच्छा
अपनी ख्वाहिश
अपना तरीका
अपनी शर्तें ,
अपना रूटीन,अपनी तरह से
जीने वाली लड़की,
न जाने कब और कैसे
उनकी परम्परा,
उनके रीति-रिवाज
उनके शौक़
उनके आदेश
उनकी निगरानी में जीने लगती है,
औरत, कब
लड़की से स्त्री हो जाती है
स्वयं वह भी नहीं जान पाती है।