मेरी माँ
हे जननी हे जन्मदायिनी, मेरे जग की पालन कर्ता।
तुम जैसा कोई नहीं जग में, माँ तुम बिल्कुल रब जैसी हो।
मेरे हर कष्ट पर तुम, व्याकुल सी हो जाती हो।
अपने हृदय लगा कर मुझको, ठंडक तुम पहुँचाती हो।
तुम बिन कोई ना समझे माँ, मेरे मन की पीड़ा,
तेरे अंक में बैठ के लगता, मैंने जग को जीता।
इस सृष्टि में तो है, केवल इक भगवान।
लेकिन तेरे रूप में है वो, हर घर में विद्यमान।
तेरे दिल में कितनी करुणा, जिसका कोई पार नहीं।
इस जग में कौन है ऐसा, जो माने तेरा आभार नहीं।
ब्रह्मा जग को रचते हैं और शिव दुखों को हरते हैं।
किस से तेरी तुलना करूँ कि तुम किस के जैसी हो?