मेरी माँ
वो पुर नूर चेहरा
वो प्यारी सी आंखे
बहुत याद आती है
अम्मी की बाते
वो सब को प्यार से मिलना मिलाना
कोई घर जो आए
तो उस को बिठाना
बिठा कर हंस हंस के
सुन ना सुनाना
नहीं भूल सकते
वो खूबसूरत यादें
बहुत याद आती है
अम्मी की बाते
दुआएँ हमेशा करती थी
सभी के लिए वो
किसी को नहीं देख सकती थी
परीशाँ
गरीबों को रखती थीं
दिल से अजीज
बहुत प्यार से खिलाती थी
खाना
कभी घर से कोई भूखे ना जाते
बहुत याद आती है
अम्मी की बाते
खुदारा मेरी अम्मी को
जन्नत में ऊँचा मुक़ाम देना
करते है हम जो
दुआ वो तू सुन ना
जुबान पे आयी है
आज दिल की बाते
बहुत याद आती है
अम्मी की बातें
ShabinaZ
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