मेरी माँ
सुरज की कीरनो से,
ममता की छाँव मे.
झरनो का नीर्मल स्वर,
ऐसी है मेरी माँ…
त्याग की है,वो भावना,
ममता का है,वो विश्वास.
प्यार का वो समन्दर,
ऐसी है मेरी माँ…
ईश्वर का है,वो रूप,
रिशतो की है,वो धूप.
पवीत्रतासे सीर झुकता है मेरा,
ऐसी है मेरा माँ…
नीछल ममता की,है वो मूर्त,
धरती से अंबर तक.
गमो को भुलकर,उसका हसना,
ऐसी है मेरी माँ…
उसकी आँखो का,मै हु तारा,
मुझे उसके प्यार का,कर्ज है चुकाना.
उसके गमो को,दूर मुझे करणा,
उसकी आंचल मे मुझे रहना,
ऐसी है मेरी माँ…