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30 Nov 2018 · 1 min read

मेरी माँ मेरी कविता

काश कहीं खामोशी कि भी दुकान होती….
ओर मुझे उसकी पहचान होती…..
खरीद लेता में वो खुशियाँ आपके नाम,
चाहे उसकी कीमत मेरी जान क्यों न होती….
गुम हो जाते हैं,
अपने सब,फिर फिर झुठ बोलकर छोड़ देते हैं……
हाथ हमारा, क्या रखा हैं……
जीने में, न आज न कल बस बेबसी हैं……
सीने में,आज भी जन्नत हैं……
यहीं इसी जगह माँ तेरी गोद में!!

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 557 Views
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