मेरी मम्मी का कंप्यूटर
मेरी मम्मी बचपन से लेखिका बनना चाहती थी ,मगर उनको तकदीर ने कभी मौका ही न दिया । हालात भी फिर क्या साथ देते । स्नातक की डिग्री हाथ में आते ही उनकी शादी हो गई । यह तो मम्मी का अचानक भाग्य संवार गया जो पापा उनकी आगे की पढ़ाई के पक्षधर निकले ।और उन्होंने उनको हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करवाने हेतु कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया । और डिग्री हाथ में आते ही उनको वही प्रोफेसर की नौकरी मिल गई ।मगर लेखक बनने का सपना रहा वही ढाक के तीन पात । नौकरी और घर संभालने के दरम्यान उनको इतना समय ही नहीं मिलता था की कुछ लिख सके । फिर भी थोड़ा बहुत जबरदस्ती ही समय निकालकर मुश्किल से शेर या मुक्तक ही लिख पाती थी ।उनके पास एक डायरी थी जो उनके भावपूर्ण शेर और मुक्तक से भरी हुई थी । बस इसी तरह समय गुजरता गया ।फिर मैं उनकी जिंदगी में आई तो मेरे लालन पालन में मशगूल हो गई ।
इसी तरह समय और सरकता गया । आज मैं १८ साल की हो गई हूं और आईआईटी में दाखिला लेने के लिए खड़गपुर जा रही हूं वहां हॉस्टल में रहना होगा । मां बाप से भी दूर रहना होगा ।मन बहुत दुखी भी है और उत्साहित भी ।दुख उनसे बिछड़ने का और उत्साह कॉलेज में जाकर पढ़ने ,अपने नए दोस्तों , प्रोफेसरों से मिलने का , कॉलेज को जानने का। खैर ! जो भी हो जाना तो पड़ेगा ही ।आगे की पढ़ाई करके आत्म निर्भर जो बनना है और माता पिता के सपनो को भी पूरा करना है मगर उससे पहले एक बहुत ही खास काम करना है । जिस मां ने मेरे लिए अपना जीवन खर्च कर दिया, अपने सपनो और शौक को तिलांजलि दे दी उसके लिए मेरा भी कुछ फर्ज है ।
तो बस ! मैने पापा से बात की उनके साथ मिलकर योजना बनाई और अपने जाने से पहले एक कंप्यूटर सैट उनके कमरे में कहीं छुपा कर रख दिया ! पापा को कहा “”मम्मी को मत बताना अभी ! घर वापस आकर बताना ।सरप्राइज़ है ! पापा ने मुस्कुराकर कहा “” ok,”” ।
मम्मी पापा जब मुझे स्टेशन पर छोड़ने आए तो उन्होंने बहुत सारी नसीहतें दे डाली ।वैसे भी उनकी नसीहतें तब से चालू हो गई थी जब मुझे कॉलेज का एडमिशन लेटर मिला था । मम्मी ने सारी पैकिंग भी करवाई , नमकीन मिक्चर , लड्डू वगैरह बना कर दिए साथ में ले जाने के लिए ।
मुझे जब ट्रेन पर चढ़ाकर आए तो बहुत उदास थे दोनो ।स्वाभाविक भी था ।इकलौती बेटी को अपने से दूर भेजने में किस मां बाप का दिल उदास न होगा । घर आकर फ्रेश होकर दोनो अपने कमरे में आए तो पापा ने एक टेबल से कपड़ा हटाया तो मम्मी बोली “” यह क्या है ? “” पापा बोले “” देख तो सही क्या है ? तुम्हारी बेटी देकर गई है सर्पाइज अपनी प्यारी लेखिका मां को “” ।
“कब ?””
“” कल ही , जब तुम अपने कॉलेज गई हुई थी तब “”
“मुझे तो भनक ही नहीं लग पाई “”
“”सरप्राइज़ तो ऐसा ही होता है मेडम जी! बताया थोड़ा ना जाता है “”
“बड़े स्मार्ट हो आप दोनो बाप बेटी ! यह तो मेरे लिए बहुत ही अनमोल तोहफा है । मेरी प्यारी बेटी सपना का मेरी कला को दिया अनमोल तोहफा । “” मम्मी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए । और झट से मुझे फोन करने लग गई thanks बोलने को ।
मगर नेटवर्क न मिल पाने की वजह से पहले तो फोन नहीं मिला ।मगर फिर काफी try करने पर मिल गया ।
” हेल्लो मम्मा ! क्या हुआ ,आप कैसे हो ? “”
“” मैं तो ठीक हूं और तुझे थैंक्स बोलने को फोन किया मैंने ! “”
“” Oh मम्मा थैंक्स की क्या जरूरत थी ।यह तो मेरा फर्ज था । मैं यह चाहती हुं की अब तक आप मेरे लिए जीते रहे, पापा के लिए ,इस घर के लिए जीते रहे ।अब अपने लिए जियो ।अपना शौक पूरा करो ।अब आपका बरसों का सपना पूरा करने के लिए आप अकेले नहीं हो । हम भी आपके साथ है। बस अब लग जाओ अपने काम में ।मैने पापा से मिलकर फुल टाइम मैड रख ली है कल से आ जायेगी वो काम पे ।सुबह आयेगी और शाम को वापिस चली जायेगी ।अब आपको घर का कोई काम नहीं करना है ।बस आप ,आपकी डायरी और आपका pc ।,ok !!””
मम्मी मेरी बातों से बहुत खुश हुई,मुझे ढेरों दुयाएं दे डाली ।और फोन पर ही चूमने लगी । “”God bless you always ,”” बेटा ! सदा खुश रहे मेरी बच्ची ! सदा खुश रहें। तू मेरी सिर्फ मेरी बेटी ही नहीं मेरी सच्ची सहेली है मेरी ताकत है,मेरी प्रेरणा है ।””
और मुझसे बात करने के बाद मम्मी मेरे प्रेम में अपने पीसी में मेरे लिए प्यारी सी कविता लिख दी और मुझे
What’s app par भेज दी । मैं खुशी से फूली न समाई और उनकी कविता अपने दोस्तों में शेयर की ।सबसे खूब तारीफ मिली ।मैने सारी तारीफें मम्मी को टांसफर कर दी ।किसी ने तो मुझे यहां तक सलाह दी की तेरी मम्मी को अपनी पुस्तक प्रकाशित करवानी चाहिए । मैने यह बात पल्ले बांध ली और जुट गई नए अभियान में ।
एक सरप्राइज़ मम्मी को और देना चाहिए ।मम्मी को बिना बताए उनकी डायरी जब्त कर लूं और पुस्तक रूप में लौटा दूं । नाम रखूं ” मेरे एहसास “” । कितना अच्छा लगेगा ना उनको ! तो क्या ख्याल है ! तो हो जाए !!