मेरी भांजी- राधिका
तुमारी याद रह रह कर सताएगी।
राधिका कहीं तुम अपने मामा को भूल तो नहीं जाएगी।।
ओ परी जब से तुम मेरे घर आई।
लॉक डाउन में तुम हजार खुशियां
लाई।।
ओ मेरी लाडली आज तुम घर चली गई।
जैसे घर का चेनों सुकून ले गई।
मैं तुमको बहुत याद कर रहा हूँ।
तुमसे मिलने की फरियाद कर रहा हूँ।
तुमारी प्यारी सी हँसी हम सबको याद आएगी।
जब न देख पाऊंगा तुम्हे आँखें भर आएगी।।
वो मेरे संग उठना,सिसक कर रोना।
घर में सबको छोड़ मेरे कांधे में सोना।।
मेरी आवाज सुन कर नींद से जाग जाना।
मुझे देख कर तुमारा खुश हो जाना।।
इतनी जल्दी तुमारा उठना-बेठना।
पहली बार माँ-पिता का नाम छोड़ मामा का नाम लेना।।
आखिर तूमको भी तो अपने पापा के घर जाना था।
हम सबसे बिछड़ना तो एक बहाना था।।
तुमारी याद रह रह कर सताएगी।
राधिका कहीं तुम अपने मामा को भूल तो नहीं जाएगी।।
राज वीर शर्मा
संस्थापक सह अध्यक्ष – हिंदी विकास मंच