Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2017 · 1 min read

मेरी बेटी

कभी ठुमक ठुमक, कभी मटक मटक

वो सारे घर में चलती है

कभी माँ, कभी मम्मा, कभी मम्मी जी

मुझको हर वक़्त बुलाती रहती है ||

मेरी नन्ही सी परी, मेरी प्यारी परी

मुझको बहुत प्यार करती है

गलती हो जाए गर उस से तो

थोडा तो, मुझसे डरती है ||

डांट पड़ती है जब उसको मुझसे

तो गंगा जमुना उसकी आँखों से बहती है

रोती रहती है तब बस वो

बोल कर कुछ न कहती है ||

सांस ऊपर की ऊपर नीचे की नीचे

उसकी अटकी रहती है

चैन नहीं तब तक पड़ता उसको

जब तक लाड (प्यार ) न मुझसे कर लेती है

फिर धीरे – धीरे , वो होले – होले

मेरी गोदी में सिमटती जाती है

फिर सकूं मिलने के बाद

पहले सी चंचल हो जाती है ||

वो चंचल परी ,वो नटखट बड़ी

मेरी बेटी , मेरी प्यारी सी गुडिया है

सदा आशीष रहे भगवान् की उसपर

बस यही , मेरी दुआ है

हरदम यही मेरी दुआ है ……

Amita Gupta Magotra
Maulik rachna

2 Likes · 2 Comments · 898 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चल अंदर
चल अंदर
Satish Srijan
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
Sunil Suman
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
Manisha Manjari
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"इम्तहान"
Dr. Kishan tandon kranti
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
Sanjay ' शून्य'
सुबह, दोपहर, शाम,
सुबह, दोपहर, शाम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
11, मेरा वजूद
11, मेरा वजूद
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मिट जाता शमशान में,
मिट जाता शमशान में,
sushil sarna
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
😊 लघुकथा :--
😊 लघुकथा :--
*प्रणय*
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Neeraj Agarwal
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
Surinder blackpen
3035.*पूर्णिका*
3035.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुरे वक्त में भी जो
बुरे वक्त में भी जो
Ranjeet kumar patre
कल रात
कल रात
हिमांशु Kulshrestha
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
प्रारब्ध का सत्य
प्रारब्ध का सत्य
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जग के का उद्धार होई
जग के का उद्धार होई
राधेश्याम "रागी"
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
पिता
पिता
Shashi Mahajan
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
seema sharma
जिन स्वप्नों में जीना चाही
जिन स्वप्नों में जीना चाही
Indu Singh
Loading...