मेरी बेटी प्यारी बेटी
क्या है क्यों है और कैसी है..
चंदन की खुस्बू जैसी है..
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
मम्मा उसको दिनभर टोके..
पर मंदिर की घंटी के जैसे..
वो दिनभर बजती रहती है,
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
वो है तो घर घर लगता है..
घर घर क्या मंदिर लगता है..
जैसे वंदनवार सजी है,
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
कभी कभी ऐसी अड़ जाती..
सच पर यूं सब से लड़ जाती..
जैसे कोई अंगद टांग गड़ी है,
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
पूछो तो कुछ नहीं चाहिए..
प्यार और सम्मान चाहिए..
लगता है मेरे जैसी है,
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
मेरे घर की आन है बेटी..
मै काया मेरी जान है बेटी..
शान और सम्मान है बेटी..
मेरी बेटी प्यारी बेटी।
भारतेन्द्र शर्मा