मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
मेरे घर की रौनक मेरे दिल का नूर…
…वह है लक्ष्मी मेरे घर की
सहायें है रोज।?
…है दुर्गा की शक्ति उनमे
ज़िम्मेदारियों का उठाये है बोक्ष।।?
…नित नये आयाम है गढ़ती
जीवन में वो अपने।?
…मेहनत लगन से है करती
पूरे आंखों के सपने।।?
प्रार्थना है ईश्वर से हो ना वो कभी मज़बूर…
मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
…मात-पिता की सेवा ही है
उनका धर्म।?
…इससे बढ़कर वो ना माने
कोई कर्म।।?
…मान-मर्यादा को रखती है
वो सब में सर्वोपरि।?
.. उनके विश्वास में रहते हैं
भगवान श्री हरि।।?
कभी कभी मैं सोच के हो जाता हूँ मग़रूर…
मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
…हृदय है उनका नीर के दर्पण जैसा
मन मे ना कोई उनके भरम।?
…मात-पिता को अर्पण सब कुछ उनका
उनको रखें वह सभी में सर्वप्रथम।।?
…खिलती कलियाँ है वो मेरे अँगना की
तोड़े ना ये कोई फूल।?
…शीश झुकाता हुँ भगवन मैं आपके आगे
हो ना उनसे कोई भूल।।?
चमकाए मेरे घर को, है परियों सा उनमें हूर…
मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
…माता के डर से पिता के पीछे
उनका छुप जाना।?
…बचनें पर उनके चेहरों पर
वो खुशियाँ का आना।।?
…याद आयेगा जीवन भर
यह नटखट पन उनका।?
…कैसे सह पाउँगा
दूजे के घर जाना उनका।।?
पर समाज की रीति यही विवाह करके
जाना होगा
पिया के संग उनको मुझसे दूर…
मेरी बेटियाँ है मेरा गुरूर…
…भगवान मेरी बेटियों को हर क्षण
खुशियों के पल तुम देना।?
…बस इतनी सी मनोकामना
इस पिता की पूरी तुम कर देना।।?
हे ईश्वर बस आपसे है इस पिता की
यही प्रार्थना,यही प्रार्थना,यही प्रार्थना।
ताज मोहम्मद
लखनऊ