“मेरी बिटिया”
“मेरी बिटियाँ”
तुमको पाया जब आँचल में,
नव स्वप्न नयन पलते देखा……
वह अद्भुत सी अनुभूति थी,
जब महकीं तुम इस आँगन में।
यह ह्रदय हुआ कुसुमित-पुलकित,
नवरंग भरा इस जीवन में।
सूनी बगिया में फूलों की,
नव कोंपल को खिलते देखा।
तुमको देखा जब आँचल में,
नव स्वप्न नयन पलते देखा…..
तुम इंद्रधनुष सी खुशियों के,
हर रंग बिखेरे जाती हो।
तुम सोन चिरइया आँगन की,
सबके मन को हर्षाती हो।
तुमको चंदा की बाँह पकड़,
इन तारों पर चलते देखा।
तुमको पाया जब आँचल में,
नव स्वप्न नयन पलते देखा……
यह मोहक सी मुस्कान तेरी,
जग उजियाला कर देती है।
यह कोमल-कोमल छुअन तेरी,
हर पीड़ा को हर लेती है।
तू जागे तो ये दिन निकले,
सोये तो दिन ढलते देखा।
तुमको पाया जब आँचल में,
नव स्वप्न नयन पलते देखा……
अर्चना सिंह