मेरी बिटिया “रानी”
हर दर्द गम पल में मिट जाए,
जब मेरी प्यारी बिटिया पापा कहकर गले लगाए।
उसकी हंसी से सारा घर आंगन, खिल खिल जाए।
उसके नन्हे कदमों की आहट सुनकर,मन मेरा चितचोर हो।।
कहती नहीं है कुछ,पर, हर मांग अपनी वह मनवाए।
उसकी मांगों को पूरा करने की चाहत दिल बार बार चाहे।।
भाई की लाडली मां की दुलारी पापा की परी हो बिटिया तुम।
इस इस घर आंगन की रोनक और प्यारा एहसास हो तुम।।
हमारे जीने की खुशी तुमसे है, कैसे विदा करेंगे सोच सोच कर सिहर जाता हूं मैं।
क्यो होती है बेटी के बिदाई ऐसा होता देखकर नींद से भी जाग जाता हूं मैं ।।
कहे पा”रस” आज आखें नम है मेरी, कैसे करूंगां मैं विदाई तेरी