मेरी बंद जज़्बातों की कोठरी में कुछ रोशनदान हैं
मेरी बंद जज़्बातों की कोठरी में कुछ रोशनदान हैं
कोई मुसाफिर नही है साहिलों की ये कश्तीयॉ वीरान हैं
इन ख़्वाबों ने कब्जा जमा लिया है मेरे दिल ओ दिमाग पर
पहले मैने सोचा था कि ये तो मेहमान हैं
ये सारे परिंदे जिन्होंने पेड़ों को बसेरा बना रखा है
मेरा यकीन मानिए इन सब के नाम पर सरकारी मकान हैं
आज ताली बजा रहे हो जो सड़क का तमाशा देखकर
तो याद रखना कि तुम्हारे घर की दीवारों के भी कान हैं
आसमान में एक सुराग है मै कह रहा हूं
बाकी सब लोग इस हकिकत से अनजान हैं
तनकिद करनी हो तो तनहा कोई झोपड़ी तलाश करो
इनके बारे में ज़बान संभालकर बोलना शाही खानदान हैं