मेरी प्यारी माँ
[ 09/09/2020]
छन्द मुक्त, कविता
विषय -मेरी प्यारी माँ
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माँ तूने मुझको जन्म दिया,
और पैरों पे खड़ा किया ।
हजारों दुःख सहकर भी माँ,
एक पल भी नही आराम किया ।
आज भी आंखे भर आती है,
सुन के तेरा अफ़साना ।
याद आता है माँ मुझको,
तेरे हाथों का खाना ।
***
जब मैं माँ परदेश गया,
तो मेरा दिल मजबूर हुआ ।
समझो ऐसा लगता था कि,
दिल धड़कन से दूर हुआ ।
तू फिक्र न करना माँ मेरी,
मुझे जल्द है वापस आना ।
याद आता है माँ मुझको,
तेरे हाथों का खाना ।
***
प्यार भरे हाथों से अपने,
रोटी मुझे खिलाना माँ ।
तुमसे सीखा है माँ मैंने,
रिश्तों को सही निभाना माँ ।
माँ से जुड़ी हैं सबकी खुशियां,
दिल न कोई दुःखाना ।
याद आता है माँ मुझको,
तेरे हाथों का खाना ।
***
तेरी याद में भूल गया मैं,
ये दुनियां कितनी प्यारी थी ।
सारा जहां था अपना,
जब पास हमारे माँ थी ।
यादें आती है बचपन की,
वो लोरी गा के सुलाना ।
याद आता है माँ मुझको,
तेरे हाथों का खाना ।
अभिनव मिश्रा
(शाहजहांपुर )