Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2019 · 1 min read

मेरी पसंदीदा मिठाई को पत्र

मेरी प्यारी रबड़ी
आप के दीदार को मेरा मतलब है स्वाद को तरसती है जिव्हा।आप से भेंट बहुत कम ही हो पाती है। आजकल आप ज्यादातर मौकों पर और शादी समारोहों में भी आप कम ही पधारती हैं। मुझे तो आप जानती ही हो कितना प्रेम है आप से। आपकी बात करते ही, आपका नाम सुनते ही मुंह में पानी क्या आता है पानी से मुंह भर ही जाता है।
मेरी प्रिया लच्छे दार रबड़ी रानी,
आपकी याद में, आपकी विरह वेदना में कई बार तो मेरी ऐसी हालत हो जाती है कि बेचैनी में फड़फड़ाहट बढ़ जाती है कारण आपका कुछ नखरैलाअंदाज, कुछ अलग हटकर मिजाज़ कि–
“रबड़ी हर जगह नहीं मिला करती ”
परन्तु मेरे जैसा मिठाइयों को मुंह न लगाने वाला नकचढ़ा इंसान आपके लच्छे दार स्वाद के प्रेम जाल में फंस कर आपका ऐसा दीवाना हो गया है कि आपके खूबसूरत लच्छों में उलझ गया मेरा दिल।
हर हलवाई हर मिठाई की दुकान पर आपके दर्शन न हो पाने के कारण मेरा आपके प्रति आकर्षण और अधिक बढ़ जाता है और आखिरकार शहर की गली- गली भटकते हुए आपको ढूंढ ही लेते हैं। फिर तो चट करके ही दम लेते हैं कि पता नहीं दोबारा कब आमना-सामना हो जैसा कि अभी कुछ दिन पहले हुआ था अपना मिलन।
अपने पुनर्मिलन की आस लिए।
तुम्हारे चाहने वाले
रंजना माथुर

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पंचायती राज दिवस
पंचायती राज दिवस
Bodhisatva kastooriya
*देह का दबाव*
*देह का दबाव*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
पुरानी पेंशन पर सवाल
पुरानी पेंशन पर सवाल
अवध किशोर 'अवधू'
"नायक"
Dr. Kishan tandon kranti
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
bharat gehlot
नौ देवी वंदना घनाक्षरी छंद
नौ देवी वंदना घनाक्षरी छंद
guru saxena
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
Manisha Manjari
आडम्बर के दौर में,
आडम्बर के दौर में,
sushil sarna
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
Rj Anand Prajapati
T
T
*प्रणय*
बिन बोले सुन पाता कौन?
बिन बोले सुन पाता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
TAMANNA BILASPURI
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
कफन
कफन
Mukund Patil
माना सब कुछ
माना सब कुछ
पूर्वार्थ
एकांत में रहता हूँ बेशक
एकांत में रहता हूँ बेशक
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मायाजाल
मायाजाल
Sunil Maheshwari
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
तेरी आदत में
तेरी आदत में
Dr fauzia Naseem shad
तमाशा
तमाशा
D.N. Jha
फिर फिर गलत होने का
फिर फिर गलत होने का
Chitra Bisht
दिल में कोई कसक-सी
दिल में कोई कसक-सी
Dr. Sunita Singh
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आँखों से बरसा करता है, रोज हमारे सावन
आँखों से बरसा करता है, रोज हमारे सावन
Dr Archana Gupta
एतबार
एतबार
Davina Amar Thakral
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
Ajit Kumar "Karn"
*भरत चले प्रभु राम मनाने (कुछ चौपाइयॉं)*
*भरत चले प्रभु राम मनाने (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
Neelam Sharma
Loading...