मेरी नाव
देखो देखो बारिश आई,
राम श्याम आओ भाई,
सब मिल कर खेलें खेल,
मैंने तो अपनी नाव बनाई।
सब अपनी नाव चलाओ,
वो देखो मेरी नाव चली,
चुन्नु मुन्नु तुम भी आओ,
अपनी अपनी नाव दौड़ाओ।
गलियाँ नदियाँ सी बहती,
हम से चलने को कहती,
चलते चलते बढ़ते जाएँ,
अच्छे ही अच्छे बनते जाएँ।
सीख ये बारिश दे जाती,
अपनी राह खुद बनाती,
बहुत कुछ हमसे कहती,
रुकती नहीं, बहती रहती।
कहती हम से हमेशा यही,
कछुए की चाल चलो यों ही,
रुकना तुम कभी मत जानो,
धीरे धीरे निरंतर बढ़ना मानो।
यों ही तुम बस चलते जाओ,
जीवन में आगे बढ़ते जाओ,
सफलता तुम फिर ही पाओगे,
समय के साथ चलते जाओगे।