मेरी नानी माँ
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माँ तो प्यारी है ही मुझको,
पर माँ से प्यारी नानी माँ।
माँ ने तो मुझको जन्म दिया,
पर पाली – पोसी नानी माँ।
?
प्याली भर कर दूध पिलाती।
खाली तनिक नहीं वो लाती।
जिस दिन थोड़ा खाली होता।
नखरा मेरे सर पर होता ।
हाथ मार मैं उसे गिराती।
डाँट डपट वो मुझे लगाती।
कान खींचती आँख दिखाती।
फिर से प्याली भर कर लाती ।
ऐसी थी मेरी नानी माँ।
?
माँ तो प्यारी है ही मुझको ………..
?
आँगन में वो खाट लगाती ।
बाँहों में भर मुझे सुलाती।
किस्से कई कहानी कहती।
परियों की वो देश घुमाती।
तारों से वो बात कराती।
चन्दा मामा से मिलवाती ।
हाथों से माथा सहलाती।
शीश चूम कर लाड़ जताती।
शादी हो या भजन आरती
कितने सुन्दर गीत सुनाती।
ऐसी थी मेरी नानी माँ।
?
माँ तो प्यारी है मुझको पर……
?
खेलकूद कर जब मैंआती
धूल से धूसित मैं हो जाती
आँचल से वो झारा करती
कभी पुचकारती कभी दुलारती
सबसे पहले यही पूछती।
भूख लगी होगी तुझको
जा मामी से मांग ला रोटी
चल कुछ खिला दूँ तुझको
गाँव की औरतें जो भी
बायना दे जाती थी
लड्डू – मिठाई ,खाजा -मठरी
छुपा -छुपा कर खिलाती थी मेरी नानी माँ।
?
माँ तो प्यारी है मुझको
पर माँ से प्यारी नानी माँ।
माँ ने मुझको जन्म दिया
पर पाली – पोसी नानी माँ।
?
बिन बताये ही मेरे
सारे राज पढ़ लेती थी
मेरे हँसी में छुपी दर्द
चेहरे पर पढ़ लेती थी
चेहरे पढ़ने का शायद
वो हुनर जानती थी
अपनी ममता से मेरी
दुःख दर्द हर लेती थी
ऐसा लगता था की
जैसे कोई जादू जानती थी
मेरी मन की पीड़ा
क्षण मैं दूर भगा देती थी मेरी नानी माँ।
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माँ तो प्यारी है मुझको
पर माँ से प्यारी नानी माँ।
माँ ने मुझको जन्म दिया
पर पाली – पोसी नानी माँ ।
?
आपकी ममता का कर्ज चुकाना
मुश्किल है मेरी नानी माँ।
माँ तो प्यारी है मुझको
पर माँ से प्यारी नानी माँ।
????? -लक्ष्मी सिंह??