“मेरी नाकामी ने नहीं तोड़ा मुझे”
मेरी नाकामी ने नहीं तोड़ा मुझे,
तेरा बार बार अहसास दिलाना तोड़ जाता है।
सब कुछ भूल देखती हूं नए सपने,
सपनों में भी तेरा आना झकझोर जाता हैं।
हर एक पन्ने जलाएं मैंने तेरी यादों के,
अश से लगाव होना,फिर पीछे छोड़ जाता है।
तेरी खुशबू, तेरी यादें, तेरा चेहरा, तेरी बातें,
तेरा अब तक मुझमें समाना, मुझे निचोड़ जाता हैं।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)