मेरी नज़्में
शबनम भी हैं,
शोले भी हैं।
बूंदें भी हैं,
ओले भी हैं
मेरी क़लम से
निकली हुई नज्में!
बारूद भी हैं,
गोले भी हैं!
Shekhar Chandra Mitra
शबनम भी हैं,
शोले भी हैं।
बूंदें भी हैं,
ओले भी हैं
मेरी क़लम से
निकली हुई नज्में!
बारूद भी हैं,
गोले भी हैं!
Shekhar Chandra Mitra