मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मैं तेरा और मेरा जवाब है तू।
जीस्त की ख़ास तू इनायत है,
तू दुआ और मेरा सवाब है तू।
तुमसे क़ुर्बत भी और फ़ुर्क़त भी
मेरा महबूब- ए -इज़्तिराब है तू।
तू तसव्वुर में मेरे लफ़्ज़ों में
दिल के अंबर पे माहताब है तू।
दिल का हर ख्वाब है तु ही ‘नीलम’
करम -ए- यार बे- हिसाब है तू।
नीलम शर्मा ✍️
क़ुर्बत-सामिप्य
फ़ुर्क़त-वियोग
इंतिख़ाब-श्रेष्ठ, चुनिंदा
महबूब-ए-इज़्तिराब- व्याकुलता और प्रियतम