मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है
सुबह से शाम तक साथी तुम्हारी राह ताकती है
मिलन की चाह में पगली में,सदा सजती सम्बरती है
मेरी आँखों मे सासों में,मेरे ख्याबो में तुम रहती
मेरी शामो सहर हर पल तुम्हारी यादों मे रोती
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है
तेरे दीदार की खातिर ये आँखे भीनी रहती है
कभी नहरों कभी नदिया कभी सागर सी बहती है
जुदा ये दर्द कैसा है जो हर सीने में उठता है
मोहबत में तुम्हारी ये सुबह शामो सिसकता है
मेरी
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती हैं
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है
मोहबत रोग ऐसा है जो हर दिल मे पनपता है
बताऊँ में तुम्हे कैसे की दिल कैसे सुलगता है
मेरा कम्बख़त ये दिल है जो तुम से ही जीता है
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है