मेरी तो जिंदगी भी
मेरे यार की नज़र भी जैसे शराब है
पी हमनें नजरों से तो क्या खराब है
गोरे गोरे गाल और बहकती हुई चाल
अंगूर की बेटी पर छाया जैसे शबाब है
साकिया आज पीने दी जी भरके मुझे
लेना आज जन्मों का तुझसे हिसाब है
लोग पूछ रहें है मुझसे की मैं क्या कहूँ
मेरा महबूब लाख सितारों में माहताब है
वल्लाह उसकी तारीफ़ को भी शब्द नहीं
जिंदगी में मेरी बस उसे पाना इक ख्वाब है
उसके सुर्ख होंठो की कसम खाके कहता हूं
उसके गाल गुलाबी और होंठ सुर्ख गुलाब है
तू परेशान ना कर आज मुझे मेरी आशिकी
मेरी तो जिंदगी भी एक खुली हुई किताब है
-शबाब = खिला
माहताब = चाँद