मेरी तरफ से जय श्री राम निकला
जब जब साँस में उसका नाम निकला
मेरी तरफ से तो जय श्री राम निकला
ईद बनालो गले मिलकर सब साथियों
अब यह चाँद रोज सरेबाम आ निकला
इतना कठिन तो नहीं जिंदगी का सफर
राह में चलते चलते मुँह से हाय राम निकला
कहाँ दुनियां में दम की दिल में घाव कर दे
पर अपनों की साजिशो का पैगाम निकला
अशोक आज तू चल गम भुलाने मैखाने में
यहाँ तो खुदा भी छलकता अपने जाम निकला
अशोक सपड़ा की कलम से