मेरी डायरी-(भाग-1परिचय) राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
मेरी प्रिय डायरी (भाग-1परिचय)
-राजीव नामदेव’राना लिधौरी’
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मेरी प्रिय डायरी (भाग-1 ) -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
दिनांक 23-5-2021 समय रात 9:30
प्रिय डायरी,
आत्मिक प्रेम
हे प्यारी सी डायरी, तो आज मैंने तुम्हें भी अपना बना ही लिया है।
जब अपना बना ही लिया तो चलो मैं सबसे पहले अपना परिचय ही दे देता हूं। मैं राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ (मप्र) भारत का रहने वाला एक अदना सा इंसान हूं।
किस्मत का मारा हूं एम.ए.हिंदी, बी.एससी.कृषि और पीजीडीसीए कम्प्यूटर से करने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई। वजह मैं लोकल मैं नौकरी करना चाहता था इसके दो प्रमुख कारण थे।
पहला मैं घर में इकलौता लड़का था पिताजी जी बाहर जाने नहीं दिया। और दूसरा मैं एक साहित्यकार हूं मेरा जिले में साहित्यिक क्षेत्र में बहुत नाम है। इसलिए मैं खुद बाहर नहीं जाना चाहता था इसके बारे फिर किसी दिन विस्तार से लिखूंगा।
बहुत पहले शिक्षाकर्मी की नौकरी मिल रही थी शहर से 30 किलोमीटर लेकिन उस समय शिक्षाकर्मी को मात्र 300रुपये मिलते थे और मैं लोकल मैं ही एक प्रायवेट स्कूल में पढ़ाता था वहां 1800रु मिलते थे।
तो अब आप ही बताइए वो कौन मूर्ख होगा जो 1800रुपये की नौकरी छोड़ कर 300की करेगा वो भी रोज अपडाउन करके और वो भी पक्की नहीं थी। ये बात और है कि बाद में वही पक्की हो गयी।
और हमने कुछ सालों तक पढ़ाकर अनुभव के आधार पर एक स्वयं का एक छोटा सा स्कूल खोल लिया।
लेकिन हाय री किस्मत दो साल भी ढंग से नहीं संचालित कर पाया कि कोरोनावायरस के कारण लाकडाउन में दो साल से हम ही डाउन हो गये। वो तो ईश्वर की थोड़ी सी कृपा रही कि स्कूल की स्वयं की बिल्डिंग है। वर्ना किराया देते देते मकान बिक जाता।
तो मित्रों मैं इस मामले में लकी हूं कि कोरोनावायरस की चपेट में नहीं आया हूं और न ही मेरे परिवार का कोई भी सदस्य। हमने मास्क को नहीं छोड़ा और बहुत सावधानी रोज बरतते है इसीलिए अभी तक बचे है वर्ना मेरे हार्ट वाइपास सजर्री सन् 2012 में हो हो चुकी है।
फिलहाल मैं एक स्कूल संचालक हूं और एक साहित्यकार हूं। परिवार में बस दो बेटियां हैं। और माता-पिता सहित हमलोग कुल 6सदस्य है।
ये तो हुआ मेरा संक्षिप्त परिचय। धीरे धीरे आप भी मुझे बहुत अच्छे से जानने लगेगें। मैं आपको सब कुछ बताते जाऊंगा।
बस आप लोग मेरी डायरी को जरुर पढ़िएगा और कमेंट बॉक्स में बताये कि मेरी डायरी कैसी है।
बैसे सच कहूं तो पहली बार डायरी लिख रहा हूं। अब पता नहीं आपको पसंद आती है कि नहीं।
बाक़ी अगले भाग में बातें होगीं।
शुभरात्रि, स्वस्थ रहे, मस्त रहे।
आपका अपनी ही-
-राजीव नामदेव _राना लिधौरी’
संपादक-‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़
पिन कोड-472001 (मप्र) भारत
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Email- ranalidhori@gmail.com