मेरी जीवन धारा
मुझमें भी राम है तुझमें भी राम हैं
चराचर जगत के कण कण में राम हैं
जिस हृदय में झांकता हूं मैं
उस हृदय में बस राम ही राम हैं
राम आदि हैं राम अनंत हैं
सृष्टि का प्रारंभ और अंत राम हैं
मेरे राम को काल्पनिक कहने वालो
तुम्हारे अंदर भी वही राम हैं
मेरी आस्था और स्तुति में राम हैं
मेरी श्रद्धा और विश्वास में राम हैं
जीवन के पग पग पर लोगों
मेरी जीवन धारा राम हैं
इति।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश।