मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
तुम ढ़ूँढ़ लेना किसी और को,
पर मैं अब मिल ना पाऊँगा ।
ऐ सनम, हद हो गई मेरी आशिकी की,
ये दर्द अब और सह ना पाऊँगा ।।
प्यार करता था मैं, तुम्हें भी बहुत,
पर दर्द इतना दोगी हमें, ये पता न था ।
शायद मेरी जिंदगी में,
जख्म लिखे हैं बहुत ।।
तभी तो मेरे पास इतने सारे,
लोग आते हैं, हमसे दिल लगाते हैं ।
और जब मन भर जाता उनका,
तो दिल्लगी कर, चले जाते हैं ।।
इस दुनिया की है,
एक रीत बहुत पुरानी ।
घमंड तबतक रहता है,
जबतक है जवानी ।।
मैं धोखा देता नहीं किसी को,
बस उनमें मुझमें फर्क है इतना ।
मैं धोखा खाया करता हूँ ।
और वो धोकर खाया करते हैं ।।
वो समझदार थे बहुत,
मैं ठहरा मुर्ख इंसान ।
इसलिये हमें छोड़ कर, चली गई वो,
मैं कर ना सका,उसकी पहचान ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 02/08/2020
समय – 10:27 (रात्रि)