” मेरी जान “
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मैं कर रही थी पढ़ाई ,
तभी दीदी ने एक खुशखबरी सुनाई ,
अब मैं बनने वाली हूं मौसी और वो माई ।
जो होगा / होगी मेरी परछाई ।।
तीसरा महीना जब गर्भ का आया ,
उसने भ्रुण बन गर्भ में हलचल था मचाया ।
वो था दीदी के गर्भ में समाया ,
लेकिन उसने मेरे मन को था चुराया ।।
छठा महीना जब गर्भ का आया ,
उसने तो सबका हृदय धड़काया ।
लेता रहता रात – दिन वो गोता ,
कभी इधर कभी उधर वो सोता ।।
नवा महीना जब गर्भ का आया ,
फिर उसने एक नया एहसास जगाया ।
वह भ्रुण से शिशु बन कर हो गया था तैयार ,
फिर उसने धरती पर जन्म था पाया ।
जो करता था दिन – रात गर्भ में डांस ,
अब वो बिल्कुल था शांत ,
किसे पता था ये उसका नया अंदाज ।
वो पल था मेरे लिए बहुत खास ,
जब मैंने भी पाया अपने अंदर मां का एहसास ।
हां वो मेरी परछाई है ,
जिसकी दंतुरी मुस्कान मेरे रोम – रोम में समाई है ।।
जिसके आने का था सबको इंतजार ,
वह है मेरी छोटी सी जान ।
हां वो छोटा मेहमान है ,
जिसके आने से खुशियां सुबह – शाम है ।
जो है मेरा पीपू मेरी जान है ।।
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? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
( ये मेरे हृदय का एहसास है जो मैंने अपने दीदी के पहले बच्चे के होने पर लिखा – 9 जनवरी 2015 )
नई दिल्ली