मेरी जाति ‘स्वयं ‘ मेरा धर्म ‘मस्त ‘ मेरी जाति ‘स्वयं ‘ मेरा धर्म ‘मस्त ‘ फिर मैं मुक़म्मल ‘स्वयं में मस्त हूँ’ -सिद्धार्थ गोरखपुरी