मेरी ज़िन्दगी
किताब, कविता और संगीत
यही मेरी ज़िन्दगी है
क्योंकि
किताब मेरी प्रेरणा है
कविता मेरी दोस्त है
और
संगीत मेरी धड़कन है
यदि
इनमें से एक भी बिछड़ गया
तो मेरी ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी नहीं
बल्कि
एक अन्धा कुँआ है
जहाँ
अँधेरा तो हर तरफ है
लेकिन
उजाला कहीं नहीं है।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’