मेरी चाहत
दिल में बसकर तेरे
दिल में तुझे बसाना चाहता हूं
दिल में आकर तुम्हारे
मैं जाना नहीं चाहता
चाहता हूं तू भी मेरा हो जाए
मैं सिर्फ तेरा होना नहीं चाहता।।
पाकर प्यार तेरा
तुझे प्यार देना भी चाहता हूं
तुझसे एक पल भी दूर
अब मैं रहना नहीं चाहता
हो जा अब तो तू मेरा
अब मैं और इंतज़ार करना नहीं चाहता।।
आंखों में तेरी है जो नशा
उस नशे के आहोश में रहना चाहता हूं
डूब जाना चाहता हूं इनमें
अब मैं अकेले रहना नहीं चाहता
मान जा इल्तज़ा मेरी अब तो
अब मैं और पीना नहीं चाहता।।
तेरे संग ही जीवन का
हर इम्तिहान देना चाहता हूं
साथ चलना हर कदम पर
अब मैं अकेले चलना नहीं चाहता
पाकर सही राह जीवन की
अब मैं उसे खोना नहीं चाहता।।
सपने देखें है जो भी मैंने
अब मैं उनको साकार करना चाहता हूं
मेरे सपनों की रानी के बिना
अब मैं और जीना नहीं चाहता
मान जा इल्तज़ा मेरी अब तो
अब मैं अकेले जीना नहीं चाहता।।
जीवन में मिले जो भी दर्द
अब मैं उनको भूल जाना चाहता हूं
दर्द झेले है बहुत मैंने
मैं किसी को दर्द देना नहीं चाहता
तेरे अलावा किसी और से
अब मैं सात फेरे लेना नहीं चाहता।।