मेरी ग़ज़ल में
फ़क़त इक हताशा है मेरी ग़ज़ल में |
ग़ज़ल का छलावा है मेरी ग़ज़ल में ||
सदा गूँजती है सिसकने की शब भर |
कोई तो अकेला है मेरी ग़ज़ल में ||
मेरे दिल की धड़कन है क़ाइम अभी तक |
अभी दर्द ज़िन्दा है मेरी ग़ज़ल में ||
जिसे दफ़्न करते हैं हालात मेरे |
वही ख़्वाब पलता है मेरी ग़ज़ल में ||
अभी तेरी महफ़िल के क़ाबिल नहीं मैं |
तमद्दुन का पहरा है मेरी ग़ज़ल में ||
कोई इसमें पाता है जीने का मक़सद |
कोई डूब जाता है मेरी ग़ज़ल में ||
“नज़र” हू ब हू मैं हूँ सानी नहीं है |
जो दिखता ये मुझ सा है मेरी ग़ज़ल में ||
(नज़र द्विवेदी)