मेरी ख्वाहिश है !
मेरी ख्वाहिश है!
सूरज की पहली किरण,आकर बिखरे मेरे आँगन मे
झूमते हुए बादलों से,चुपके से कुछ कहे धरती
इंद्रधनुष के रंगो जैसा हो सबका जीवन
यही मेरी ख्वाहिश है !
सागर से आती लहरें,पत्थरों से टकराकर कभी न जाए
सावन के झूमते झूले, प्रिये का कुछ प्यार कहैं
यही मेरी ख्वाहिश है
इस दिल में बैठी है जो,चुपके से आंखे बंद किए.
बस वह हो जाए,मेरी अपनी
यही है मेरी ख्वाहिश!
~ पुनीत त्रिपाठी ~