मेरी ख्वाहिशें…
तू मेरे ख़्वाबों-खयालों की मलिका,
मुझे हक़ दे अपनी ख़िदमत का,
मैं रहना चाहता हूँ बनकर तेरा,
साया बना मुझे अपने हालात का ।
हर तरफ़ चर्चा है तेरी इस जहाँ में,
इसका मुझे कोई गिला नहीं,
मशहूर मैं भी हो जाऊँ तेरी वज़ह से,
सहारा गर मिले तेरी सिफ़ारिश का ।
मैं ढल जाऊँ तेरे प्यार में,
ढलते हुए दिनकर की तरह,
उदगम हो मेरा रवि की किरणों से,
भरोसा गर मिल जाए तेरे इज़हार का ।
अब तो बस तेरी चाहत है,
लहू का क़तरा भी तन्हा तड़पता है,
“आघात” करेगा इंतज़ार तेरा गौधूलि तक,
न ले तू इम्तिहाँ उसकी मोहब्बत का ।