“मेरी खुशियों की शुरुआत” #100 शब्दों की कहानी”
बचपन से बेटी, बहु, पत्नी और मां बनकर जिंदगी के सफर में माता-पिता के आदर्श संस्कारों को बरकरार रखते हुए मैं घर ,ऑफिस में सामंजस्य स्थापित कर अपने शौक के अनुसार अच्छा भोजन बनाकर खिलाना, हर काम खुशी से करती, कोशिश रहती सदा, किसी का दिल न दुखे और सबकी खुशी में ही मेरी खुशी समाहित है ।
कुछ विषम परिस्थितियों में नौकरी छुटने पर मुझे सब करने के बाद खालीपन महसूस होता, लेकिन बच्चों ने कहा, मां अब आपको जिसमें खुशी मिले वह करो, वर्तमान में “मेरी खुशियों की शुरुआत” लेखन के सफर में मिली आत्मसंतुष्टि से हुई ।