मेरी ख़्वाहिश ने
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है ।
ख़्वाब देखा जो मैंने झूटा है ।।
यूँ ही तुम से ख़फ़ा नहीं हैं हम ।
दिल नहीं एतिबार टूटा है ।।
कुछ नहीं तुझ से प्यार है शायद ।
तेरा एहसास दिल को छूता है ।।
क्यों बिछड़ कर बिछड़ नहीं पाए ।
साथ कब से हमारा छूटा है ।।
हम मुक़द्दर तो लिख नहीं सकते ।
जो भी अपना है वो ही रूठा है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद