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20 Oct 2024 · 1 min read

मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है

मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
ख़्वाब देखा जो मैं ने झूटा है

यूँही तुम से ख़फ़ा नहीं हैं हम
दिल नहीं ए’तिबार टूटा है

कुछ नहीं तुझ से प्यार है शायद
तेरा एहसास दिल को छूता है

क्यों बिछड़ कर बिछड़ नहीं पाए
साथ कब से हमारा छूटा है

हम मुक़द्दर तो लिख नहीं सकते
जो भी अपना है वो ही रूठा है
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 18 Views
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