मेरी खता माफ न हो
प्यार की धुंध जमे, मौसम , नज़र का साफ न हो।
हवा ठण्डी चले या गरम मगर कभी खिलाफ न हो।
सजा मिले जो तेरी झील सी आँखों में डूब मरने की
मैं खता करूँ दुआ भी करूँ मेरी खता माफ न हो।
संजय नारायण
प्यार की धुंध जमे, मौसम , नज़र का साफ न हो।
हवा ठण्डी चले या गरम मगर कभी खिलाफ न हो।
सजा मिले जो तेरी झील सी आँखों में डूब मरने की
मैं खता करूँ दुआ भी करूँ मेरी खता माफ न हो।
संजय नारायण